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मणिपुर के कांगगुई में फायरिंग, तीन की मौत..

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मणिपुर के कांगपोकपी में मंगलवार (12 सितंबर) को फायरिंग में 3 लोगों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, अज्ञात हमलावरों ने कांगगुई इलाके में इरेंग और करम वैफेई गांव के बीच सुबह करीब 8.20 बजे ग्रामीणों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें 3 की मौत हो गई।

इससे पहले 8 सितंबर को टेंग्नौपाल के पल्लेल में भड़की हिंसा में भी तीन लोग मारे गए थे और 50 से अधिक घायल हुए थे। मणिपुर में पिछले 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद के बाद अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

इधर, प्रदेश भाजपा के 23 विधायकों ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें उन्होंने 10 कुकी MLA’s के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कुकी विधायक राज्य में अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। भाजपा विधायकों ने प्रस्ताव को लेकर CM एन बीरेन सिंह से भी मुलाकात की।

NRC लागू करने की मांग
हाल ही में बने सिविल सोसाइटी संगठन यूथ ऑफ मणिपुर (YOM) ने सोमवार रात भाजपा विधायकों के साथ थे। वे भी मुख्यमंत्री से मिले। YOM के सदस्यों ने अलग प्रशासन की मांग करने वाले 10 कुकी विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने इस मामले पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने और राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने की भी मांग की।

भाजपा विधायकों के प्रस्ताव पर CM का साइन नहीं
23 भाजपा विधायकों ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। इस प्रस्ताव में उन्होने संकल्प लिया कि वे मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेंगे और जल्द ही दिल्ली जाकर केन्द्र सरकार से मणिपुर संकट का हल निकालने पर बात करेंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

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मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर सरकार की ओर से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) के मेंबर्स के खिलाफ दर्ज FIR पर आज (11 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। एडिटर्स गिल्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि रिपोर्ट भारतीय सेना की अपील पर बनाई गई थी। इसलिए इसके लिए एडिटर्स गिल्ड पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए।

मणिपुर के तेंगनौपाल जिले के पैलेल में ​​​​​​फायरिंग की दो अलग-अलग घटनाओं में गुरुवार को दो लोगों की मौत हो गई, 50 अन्य घायल हो गए। घायलों में सेना का एक मेजर भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि पैलेल के मोलनोई गांव में सुबह करीब 6 बजे हथियार लेकर आए लोगों के समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें की मौत हो गई।

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